रात---
आज भी महकती है ,
दिन---
आज भी चहकता है,
पल---
आज भी खनकते हैं,
हवा---
आज भी सनसनाती है |
ना तो सूरज रूठा है,
और,
ना ही नाराज़ हुआ है चाँद |
कुछ भी तो नहीं बदला
इन बीते बरसों में;
सब कुछ है,
वैसा का वैसा |
बस---
वक़्त के साथ,
धुंदली हो गयीं,
चंद तस्वीरें |