जय श्री राम ............| आदरणीय मित्रो, पूरे एक साल का बहुत लंबा समय बीत गया है यहाँ आपसे बात किये| जब यह ब्लॉग शुरू किया तब सोच तो यह था कि आपसे रोज़ एक पोस्ट शेयर करेंगे; मगर देखिए न, पूरे एक साल का अंतराल आ गया| चलिए, अब कोशिश करेंगे कि इस तरह की बात फिर ना हो| आज हमारी शादी की सालगिरह भी है| इस मौक़े पर कोई पुरानी रचना न लेकर हाथोहाथ ही लिखी जा रही रचना ही आपकी सेवा में रख रहे हैं|
मैंने,
एक बूँद में तेरा चेहरा रख कर,
उस से वजूद में अपने
भर लिया उजाला|
जज्बातों की गर्मी से
फोड़ दिये
शबनम के ओले|
मैंने,
दूज के चाँद की कोरों से
उकेरा था चेहरा किसी का|
वक़्त,
तुम तब भी मेरे साथ नहीं थे
और
तुम अब भी मेरे साथ नहीं हो;
मगर---
मुझे इससे फ़र्क भी कहाँ पड़ता है;
मैं अपने आप के साथ चला जा रहा हूँ,
बेहद पुख्तगी के साथ
अपने नक्श-ए-पा
जमाते हुए
तेरी हथेली पे|
मैंने,
एक बूँद में तेरा चेहरा रख कर,
उस से वजूद में अपने
भर लिया उजाला|
जज्बातों की गर्मी से
फोड़ दिये
शबनम के ओले|
मैंने,
दूज के चाँद की कोरों से
उकेरा था चेहरा किसी का|
वक़्त,
तुम तब भी मेरे साथ नहीं थे
और
तुम अब भी मेरे साथ नहीं हो;
मगर---
मुझे इससे फ़र्क भी कहाँ पड़ता है;
मैं अपने आप के साथ चला जा रहा हूँ,
बेहद पुख्तगी के साथ
अपने नक्श-ए-पा
जमाते हुए
तेरी हथेली पे|
Waah... Behtreen Naz'm
जवाब देंहटाएंshukriya sunder alfazo hetu, accha tohfa apne hme diya.zamana badal reha h. h na? accha laga duaye h aap dono or rajtabh ke liye.VIVAH KI VARSG GANTH PE PUNH BADHAI.
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