tag:blogger.com,1999:blog-603417433456335099.post6930009383713444611..comments2023-07-15T18:12:26.486+05:30Comments on रेगज़ार: नज़्म---" तुम यानी तुम से परे "डॉ कुमार गणेशhttp://www.blogger.com/profile/17952974516620998912noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-603417433456335099.post-19892783604640937932010-10-03T21:36:48.202+05:302010-10-03T21:36:48.202+05:30तुम / जिसकी मुस्कुराहट से / खिली जाती हैं मेरी साँ...तुम / जिसकी मुस्कुराहट से / खिली जाती हैं मेरी साँस ……… भाई गणेश जी आपकी मुस्कुराहट देखे काफी दिन महीने साल हो गए । अब यहां आपको देखकर सोचता हूं कि भगवान मजे में है । चित्र के बारे में कहीं मैं गलत तो नहीं सोच रहा हूं कृपया कविता को इतना स्पष्ट भी ना करें । आभार कि ऐसे दर्शन तो हुए, कभी मुलाकात भी होगी ।नीरज दइयाhttps://www.blogger.com/profile/09314377124887225550noreply@blogger.com