रात---
आज भी महकती है ,
दिन---
आज भी चहकता है,
पल---
आज भी खनकते हैं,
हवा---
आज भी सनसनाती है |
ना तो सूरज रूठा है,
और,
ना ही नाराज़ हुआ है चाँद |
कुछ भी तो नहीं बदला
इन बीते बरसों में;
सब कुछ है,
वैसा का वैसा |
बस---
वक़्त के साथ,
धुंदली हो गयीं,
चंद तस्वीरें |
बहुत अच्छे .....
जवाब देंहटाएंॐ
जवाब देंहटाएंडॉ.कुमार गणेश जी
नमस्कार !आज चिट्ठाजगत की मेहरबानी से आपका स्वागत करने का सुअवसर मिल रहा है ।
… वैसे आप शायद अंतर्जाल पर मुझसे बहुत पहले से सक्रिय हैं ।
बहुत अच्छी नज़्म के लिए बधाई और आभार स्वीकार करें ।
कुछ भी तो नहीं बदला
इन बीते बरसों में;
सब कुछ है,
वैसा का वैसा
जान कर तसल्ली हुई ।
बस---
वक़्त के साथ,
धुंदली हो गयीं,
चंद तस्वीरें |
वाह ! वाऽऽह !
लेकिन वक़्त पर किसका जोर चला है ?!
बहुत मार्मिक और भावपूर्ण रचना के लिए पुनः बधाई !
शुभकामनाओं सहित …
- राजेन्द्र स्वर्णकार