चाँद-सूरज की खूंटियों पे,
गीला दिल सूखने को टाँगा था|
अपने लबों की लर्जिश थामने को,
लिया था तेरा दोशीजा चेहरा हाथों में|
ऐ ज़िन्दगी!
क़दम-ताल तो कर ही रहा हूँ
तेरे साथ,
मगर-
इतना तो बता दे,
के,
तेरी धुन इतनी मोहक क्यूँ है?
गीला दिल सूखने को टाँगा था|
अपने लबों की लर्जिश थामने को,
लिया था तेरा दोशीजा चेहरा हाथों में|
ऐ ज़िन्दगी!
क़दम-ताल तो कर ही रहा हूँ
तेरे साथ,
मगर-
इतना तो बता दे,
के,
तेरी धुन इतनी मोहक क्यूँ है?