" कुछ लम्हे जब दिल की दीवारें कुरेच कर अन्दर उतर आते हैं,तो आँखों के ग़र्म पानी और दिल के जज़्बों को लफ़्ज़ों के साथ कर देता हूँ |... लोग कहते हैं कि मैंने ग़ज़लें-नज़्में कही हैं | "
सोमवार, 11 अक्टूबर 2010
" मेरी ताक़त "
मैंने-
खायी हैं,
ठोकरें;
मैंने-
सहा है;
दर्द भी ;
मैंने-
लड़ी है लड़ाई,
वक़्त से भी;
मैंने-
लड़ाया है पंजा,
हालात से;
मैं-
पस्त नहीं हुआ,
मुसीबतों से;
मैं,
गिरा नहीं,
संकटों के आगे;
मैं,
गिड़गिड़ाया नहीं,
हालात के सामने;
डटा रहा,
लड़ता रहा,
जूझता रहा,
मैंने-
हर मुश्किल को,
पटका है-जीता है,
क्योंकि-
मेरी सब से बड़ी ताक़त,
श्रीमद्भगवद्गीता है |
(रचना-तिथि:---11-10-2010)
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