(सब से पहले तो क्षमाप्रार्थी हैं इस बात के लिए अपने अखबार 'अंक प्रभा' के श्रीगणेश की गतिविधियों में लगे रहने के कारण यहाँ से लम्बे समय के लिए दूर हो गये थे| अब लौट आये हैं| हाँ,आप से यह जानकारी अवश्य बाँटना चाहते हैं कि घोटेवाले,माँ बगलामुखी और परम पूज्य गुरुदेव देवराहा बाबा की कृपा और आप के आशीर्वाद से 'अंक प्रभा' अंकज्योतिष और बॉडी लैंग्वेज पर आधारित भारत का पहला अख़बार है|)
सावन-सावन आँगन सूना
आँगन-आँगन सावन सूना
कोयल रानी! गुमसुम क्यूँ हो
अब के तेरा गावन सूना
मान की पीर बढ़ा दी जिस ने
मेरा ये मान-भवन सूना
एक मुसाफ़िर हम हैं हमारा
आवन सूना जावन सूना
(रचना-तिथि:---10-08-1997)
सही है .. आना भी सूना.. जाना भी!
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