मरणासन्न भावनाएँ,
मिटते सम्बन्ध-चिह्न,
लुप्त होती नैतिकता,
सब का हेतु एक-
फैलता अर्थ-आयाम |
जाने,
कब,
किस दिशा में,
मिलेगा लक्ष्य?
संभवतः,
समाज सचमुच,
बन गया है-
मुद्राराक्षस |
(रचानाता-तिथि:---07-06-92)
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