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शुक्रवार, 1 अक्तूबर 2010

" मुद्राराक्षस "

मरणासन्न भावनाएँ,
मिटते सम्बन्ध-चिह्न,
लुप्त होती नैतिकता,
      सब का हेतु एक-
              फैलता अर्थ-आयाम |
जाने,
     कब,
     किस दिशा में,
     मिलेगा लक्ष्य?
संभवतः,
     समाज सचमुच,
     बन गया है-
              मुद्राराक्षस |

(रचानाता-तिथि:---07-06-92)

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