( उस आत्मा के नाम,जो 25 जनवरी,1999 को भांजे के रूप में आयी और 28 जनवरी,1999 को चली गयी )
बियाबां में,
उजाड़ भरे दश्त में,
कंकड़ों का सिरहाना किये,
उदास हवाओं के साये में,
गुमशुदा-सी फ़जां के दामन में,
तन्हा-सा,
शबनमी मुस्कान छलकाये
अपने शीरीं लबों पे,
काँटों को दामन में लिये
आरामफ़रमा है
वो;
जिसे नहीं पता
के लायी हैं,
हवाएँ
समेट कर
बेनूर उदासियाँ |
(रचना-तिथि:---03-02-1999)
अच्छी पंक्तिया है .....
जवाब देंहटाएं(आखिर क्यों मनुष्य प्रभावित होता है सूर्य से ??)
http://oshotheone.blogspot.com/2010/09/blog-post_07.html
@@ डा० कुमार गणेश जी ,
जवाब देंहटाएंआपने रेगज़ार शब्द का अर्थ बताया ..इसके लिए शुक्रिया ...
इस मंच पर हम नए ब्लोग्स यानि कि जिनको कम लोग पढते हैं और साथ में ही अच्छी रचनाओं का चयन करते हैं .... यह मंच एक जरिया है जहाँ लोग आते हैं और नए लिंक्स देख कर उनके ब्लॉग तक जाने का प्रयास करते हैं ...और ब्लॉग तक जा कर परिचय स्वयं ही मिल जाता है ...यदि हम यहाँ पूरी रचना प्रकाशित कर देंगे तो आपके ब्लॉग तक कोई नहीं जायेगा ..सब यहीं पढ़ लेंगे ...अत: हमारा प्रयास रहता है कि हम अच्छे और साथ में नए रचनाकारों तक लोगों को पहुँचने के लिए प्रेरित कर सकें ...आशा है आपको इस मंच की उपयोगिता का महत्त्व पता चल गया होगा ...आभार
बहुत खूबसूरत रचना ..आभार
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