" कुछ लम्हे जब दिल की दीवारें कुरेच कर अन्दर उतर आते हैं,तो आँखों के ग़र्म पानी और दिल के जज़्बों को लफ़्ज़ों के साथ कर देता हूँ |... लोग कहते हैं कि मैंने ग़ज़लें-नज़्में कही हैं | "
शनिवार, 25 सितंबर 2010
ग़ज़ल---" एक मुकम्मल दर्द हैं यादें "
आँसू आँख का गहना है
इस को आँख में रहना है
जीस्त दर्द का अफ़साना है
इस को सब को कहना है
एक मुकम्मल दर्द हैं यादें
जिस को सब को सहना है
रेत का एक क़िला है आशा
इस को इक दिन ढहना है
ये है शहर दर्द का जिसमें
तुझ को 'कुमार' रहना है
(रचना-तिथि:---30-08-1994)
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रेत का एक क़िला है आशा
जवाब देंहटाएंइस को इक दिन ढहना है
बहुत खूबसूरत गज़ल ..