औरों के घर-आँगन में, जो आँखें फाड़े
वो ही शख्स भला,करके-क्यूँ बंद किवाड़े रहता है ?
(रचना-तिथि:---28-08-1998)
गुरबत की क़ुर्बत के ही हैं, यार तमाशे ये सारे
वरना सोचो-कौन शौक़ से,बदन उघाड़े रहता है ?
(रचना-तिथि:---28-08-1998)
उसका हँसना,उस का रोना,मुझ से जुदा हुए हैं यूँ
वो जो मेरे घर-आँगन के,इस पसवाड़े* रहता है
(*पसवाड़े-पहलू )
(रचना-तिथि:---28-08-1998)
ढूँढा तुमने कहाँ था उसको,और भला वो मिलता कैसे ?
प्यार तो भैया तेरी नफ़रत,के पिछवाड़े रहता है
(रचना-तिथि:---11-09-1998)
सरगोशी करती हैं यादें,हूक यहाँ भी उठती है
तेरे वहाँ ये मौसम तो,बस जाड़े-जाड़े रहता है
(रचना-तिथि:---11-09-1998)
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