सर्दी के मौसम में
गाँव के ढलते दिन में
औसारे में बैठे
चाय पीते
हुक्का गुड़गुड़ाते
बतियाते
बूढ़े की ज़िन्दगी
नहीं मांगती
अब कोई तफ़सील |
(रचना-तिथि:---14-09-1998)
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंहिन्दी का प्रचार राष्ट्रीयता का प्रचार है।
काव्य प्रयोजन (भाग-७)कला कला के लिए, राजभाषा हिन्दी पर, पधारें