(कारगिल के शहीदों को प्रणाम)
सुनो !
वे चले गये पहाड़ों पर,
के हम,
रह सकें बेखौफ़,
मैदानों में |
दफ़न हो गये कुछ सपने,
बर्फ में,
के ज़िन्दा रह सकें,
हमारे सपने |
उन्होंने झेल लीं,
गोलियाँ सीने पर अपने
के हम कर सकें,
विजय-तिलक,
माँ के माथे पर |
खामोश हो गयीं,
कुछ आवाज़ें,
के ज़िंदा रह सकें,
हमारी आवाज़ें |
वे दे गये,
कई आँखों को आँसू,
के न बाहें कभी,
हमारी आँखों से आँसू |
आओ !
उन के बलिदानों को रक्खें कामयाब,
सर झुकाएँ,
उन के खून के आगे,
मिलाएँ---
एक सुर में आवाज़,
और कहें---
" हिन्दुस्तान जिंदाबाद | "
(रचना-तिथि:---10-07-1999)
कारगिल के शहीदों को शत शत नमन
जवाब देंहटाएंहिंदुस्तान जिंदाबाद|
हिंदुस्तान जिंदाबाद ...अच्छी प्रस्तुति
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