मैंने दर्द को पाला है
हर घाव मिरा निवाला है
जब से किसी की मूरत रूठी
मन का रिक्त शिवाला है
तेरा नाम लिखा जिस पे
वो पन्ना आज निकाला है
समय का पतझर ले डूबा
अब बाग़ कहाँ हरियाला है
कभी बना था रेत का दरिया
'कुमार' आज हिमशाला है
(रचना-तिथि:---28-11-1997)
जब से किसी की मूरत रूठी
जवाब देंहटाएंमन का रिक्त शिवाला है
तेरा नाम लिखता जिस पे
वो पाना आज निकाला है
बहुत सुंदर
बहुत खूबसूरत गज़ल ..
जवाब देंहटाएंसमय का पतझर ले डूबा
अब बाग़ कहाँ हरियाला है
कभी बना था रेत का दरिय
'कुमार' आज हिमाशाला है
सुन्दर